Wednesday 13 March 2019

हर-हर मिथ्या, घर-घर मिथ्या।



2019 का चुनावी बिगुल बीते दिनों चुनाव आयोग के ऐलान के साथ ही बज चुका है. चुनाव आयोग के अनुसार 
तकरीबन नब्भे करोड़ लोग ग्यारह अप्रैल से उन्नीस मई के बीच देश की विभिन्न लोकसभा सीटों पर मतदान 
करेंगे. देश की दो सबसे बड़ी पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने कमर कस ली है और दोनों ही विशाल जनसभाओं, 
रैलियों और पार्टी कार्यकर्ताओं को आए दिन सम्बोधित कर रहे हैं. पुलवामा में हुए आतंकी हमले का जवाब देते हुए मोदी सरकार ने पाकिस्तान के साथ-साथ कांग्रेस के खेमे में भी सर्जिकल स्ट्राइक कर दी. भाजपा के इस कदम से राफेल, बेरोज़गारी, अनियोजित नोटबंदी, खाते में आने वाले पन्द्राह लाख जैसे मुद्दे राष्ट्रवाद के कथित मुद्दे द्वारा कुचल दिए गए और अब राहुल गांधी की रैलियों में ही सांस लेते नज़र आते हैं. राष्ट्रवाद की बात करें तो मैंने भी मुंबई स्थित अपने कमरे में भारतीय सैनिक की एक तस्वीर लगा ली है. अब अगर कोई मेरे घर अचानक आ धमके और मुझसे मेरी देशभक्ति का सबूत मांगे तो मेरे पास सबूत के तौर पर दिखाने के लिए वह तस्वीर है. राष्ट्रवाद और देशभक्ति के मुद्दे को भाजपा ने इस क़दर भुन दिया है कि देश की जनता उसकी ओर आकर्षित होने से खुद को नहीं रोक पा रही. बीते दिनों दिल्ली की अपनी एक सभा में कांग्रेस अध्यक्ष ने आतंकी मसूद अजहर के नाम के आगे जी लगा दिया. उनकी इस गलती का कितना बड़ा खामियाजा उनकी पार्टी को भुगतना पड़ेगा उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं है क्योंकि माने या ना माने आगामी लोकसभा चुनाव इस ही एक मौजू के इर्द-गिर्द घूमने वाला है.

ऐसी विषम परिस्थितयों में राहुल गांधी और तमाम कांग्रेस पार्टी को चाहिए कि वे प्रधानमन्त्री जी को ज़्यादा से ज़्यादा उन मुद्दों पर घेरें जिन्हें काटने के लिए वे कथित देशभक्ति नामक शस्त्र का इस्तेमाल ना कर सकें. मिसाल के तौर पर मोदी जी की लगभग हर सभा में गलत-सलत तथ्य रखकर जनता को गुमराह करने और उनके वोट अपने पक्ष में करने की आदत. कुछ ही वक़्त पूर्व तमिलनाडू में उन्होंने कहा की निर्मला सिथारमन देश की पहली महिला रक्षा मंत्री हैं. पूरा विश्व जानता है कि देश की पहली महिला रक्षा मंत्री इंदिरा गांधी थीं. कर्नाटक की अपनी एक सभा में उन्होंने कहा कि कांग्रेस का कोई नेता भगत सिंह, बटुकेश्वर दत्त, वीर सावरकर आदि से जेल में मिलने नहीं गया. जबकि दस अगस्त 1929 के "ट्रिब्यून" अखबार में छपी खबर के अनुसार जवाहरलाल नेहरु आठ अगस्त 1929 को लाहोर जेल में उस वक़्त भगत सिंह से मिले थे जब वे और उनके साथी अंग्रेज़ी जेल प्रशासन के खिलाफ भूख हड़ताल कर रहे थे. एक और उदाहरण उत्तरप्रदेश के मघर का है जहाँ अपने भाषण में मोदी जी ने यह कहा था कि “यहाँ बैठकर संत कबीर, बाबा गोरखनाथ और गुरु नानक देव साथ बैठकर आध्यात्मिक चर्चाएँ करते थे” जानी-मानी वेबसाइट "दी क्विंट" द्वारा पेश किये गए तथ्य बताते हैं कि बाबा गोरखनाथ का जन्म ग्याहरवी शताब्दी में हुआ था और संत कबीर का जन्म चौदहवी सदी के अंत में. इन तीनों ही उदाहरणों में या तो मोदी जी के तथ्य गलत हैं या फिर उनके विश्वव्यापी चरित्र के सामने इतिहास इतना बोना है कि वे जब चाहें उसे कुचल कर आगे बढ़ सकते हैं.

इसके अलावा कांग्रेस मोदी जी के द्वारा प्रेस कांफ्रेंस ना करने और सतत, लगातार बढ़ रही जुमलेबाज़ी को मुद्दा बनाकर भी चुनावी मैदान में उतर सकती है. हालाँकि वह ऐसा कर भी रही है. राहुल गांधी की चेन्नई के स्टेला मेरिस कॉलेज में छात्राओं के साथ हुई बातचीत इस बात का प्रमाण है. गौरतलब है कि एक छात्रा द्वारा रॉबर्ट वाड्रा पर लगे आरोपों के विषय में पूछे जाने पर कांग्रेस अध्यक्ष ने एक ज़िम्मेदारी भरा जवाब देते हुए कहा कि “सबकी जांच होनी चाहिए और जांच चल रही है” लगे हाथ उन्होंने मोदी जी पर इस तरह की पारस्परिक बातचीत ना करने का आरोप भी लगा दिया.

मोदी जी की लोकप्रीय भाषण शैली, उनकी हिंदुत्व-प्रधान और राष्ट्रभक्त छवि और आतंकियों के खिलाफ लिया 
गया उनका एक्शन ऐसे तीन हाथियार हैं जिनका इस्तेमाल ना केवल पार्टी के शीर्ष नेता बल्कि गाँव-जिले में रहने वाले छुटभय्ये भी कर रहे हैं. और बहुत मुमकिन है कि इन्हीं हथियारों के वार से आगामी चुनावों में कांग्रेस धराशाई होगी. लेकिन इस सब के बावजूद इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमन्त्री लगातार, बिना रुके, सतत, अनवरत तथ्यहीन बयान देते रहते हैं और बे-खौफ होकर प्रेस (जो थोड़ी बहुत बची है) या जनता के सवालों का जवाब देने से कतराते हैं. जबकि उन्हें ऐसा करने से बचना चाहिए क्योंकि वर्तमान में वे एक राष्ट्राध्यक्ष हैं ना कि किसी पार्टी या दल के प्रचारक. और अगर अपनी पार्टी की जीत किसी भी सूरत में सुनिश्चित करने के लिए वे ऐसा नहीं करते हैं तो वो दिन दूर नहीं जब उन्हीं के दल द्वारा दिया गया नारा परिवर्तित होकर कुछ यूँ सुनाई देगा – “हर-हर मिथ्या, घर-घर मिथ्या”          

2 comments:

  1. You need to analyze your research and study more before going to any conclusions.petriotism isn't any offence. .Being true to our country and thinking,taking care of the core wasn't possible in Congress government.think again ..

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    1. respect your opinion. may your ideology win. best wishes.

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