Sunday 8 May 2022

ये अश'आर सबको सुनाने के लिए हैं।


झूम उठते हैं शहर दो शेर सुन कर।

तुम पूछते हो शायर की औक़ात क्या है?



कुछ साल पहले तक जिन अशआर को अपनी डायरी, कॉपी, या किसी किताब के इब्तिदाई या आखरी सफ़हे पर लिखता था, आज कल उन्हें अपने व्हाट्सएप या इन्स्टाग्राम अकाउंट पर डाल देता हूँ। पोस्ट किये गए बैत(शेर) में कुछ पुराने होते हैं तो कुछ किसी नए ख़याल की मामूली ज़बानी तर्जुमानी हैं। अपने तखलीकी बिखराव को समेटने या सहेजने के क्रम में, मैं उन सभी अशआर को यहाँ डाल रहा हूँ, जिन्हें मैं पिछले कुछ वक़्त से सिर्फ़ सोश्यल मीडिया के फैले हुए नक़्शे पर यहाँ-वहाँ रखता रहा हूँ।


1) मेरी परछाई से भी वो दूर रहे।

गर नफ़रत रहे तो भरपूर रहे।।


2) जो मुझ को मात देना चाह रहे हैं।

मैं उन से जीतना चाहता नहीं हूँ।।


3) अपना तो दो ही शहरों में सैर-सपाटा सारा है।

एक हमारी नगरी है और दूजा शहर तुम्हारा है।


4) न ही हामी भरी कोई भी और न ही मना किया -

ऐसा कर के उस ने मेरा भला किया कि बुरा किया?

5) मैं शेर पढ़ रहा हूँ लिहाज़ कीजिये

है काम शौक़ का पर आसान नहीं है।


6) सब को सब की ज़िंदगी से क्या मतलब?

सब को सब का मरना याद नहीं रहता।।

7) कौन आदमी है जो शाद है सदा,

कौन शख़्स है जो परेशान नहीं है।


8) मक़सद होते हैं सभी के मुख़्तलिफ़।

कामयाबी की कोई एक पहचान नहीं है।।


9) दिल में किसी के भी शामिल नहीं हैं।

क्या हम मोहब्बत के काबिल नहीं हैं?


हम सब ने मारे हैं अपने कईं सपने,

किस तरह कह दें हम क़ातिल नहीं हैं।।


अपनों से लड़ लें सियासत की सुन के?

हम इस क़दर के भी जाहिल नहीं हैं।।


10) राही तुम करते रहो प्रयास

आ जाएगी मंज़िल पास।।


मुझ में से जाती ही नहीं -

तुझ से मिल पाने की आस।।


हँसते हैं लब कभी-कभी,

मन रहता है सदा उदास।।

11) हमें नहीं ख़बर अगले पल क्या होगा।

कैसे बताएं हम कि कल क्या होगा।।


पहले ज़िंदगी की मुश्क़िल तो पता करें,

फिर ये पता लगाएंगे कि हल क्या होगा।।


प्रद्युम्न तू घिर गया है चारों तरफ़ से -

कोई तो रास्ता खोज, सम्भल, क्या होगा।।


12) ख़ूब सूरत का सफ़र तो दो क़दम का है।

ख़ूब सीरत ज़िंदगी भर साथ चलती है।


13) एक शख़्स है जो मैं लाख चाहूँ मेरा हो नहीं सकता।

फिर भी उसको पाने की उम्मीद मैं खो नहीं सकता।।


14) ग़म को वजह की दरकार नहीं है

मतलब कुछ भी असरदार नहीं है।।


हम ने किसी की भी परवाह नहीं की,

सो आज अपना कोई यार नहीं है।।


ठहरना भी चलने जितना है ज़रूरी

रुक जाने का मतलब हार नहीं है।।


15) बहुत पास हैं या फिर शायद बहुत दूर हैं वो -

क़रार दिल को आ रहा है बे-क़रारी जा रही है।।


16) पूछते हैं हम से वो कि - इश्क़ किस से करते हो?

इश्क़ किस से करते हो? - ये पूछते हैं हम से वो



17) न रहबर न राह न मंज़िल का पता है।

न खोए का इल्म न हासिल का पता है।।


लोग कह रहे हैं कि दिल की सुनें हम,

उन्हें लग रहा है - हमें दिल का पता है।।


हम पे ये बोझा है कि हल भी खोजें,

कम है क्या ये कि मुश्क़िल का पता है।।


18) क्या हो न पूछिये पूछिये क्या न हो?

कोई हम जितना दुनिया में तन्हा न हो।।


19) मेरे घर की ओर जो तू ने पत्थर फेंका था -

तुझे बता दूं यार के अब वो पत्थर मेरा है।।



20) क्या करें जो न करें हिफ़ाज़त मिज़ाज की।

और कोई भी जाइदाद हमारे पास नहीं।।


21) सब "अकेले" अँधेरे के साथ रहते हैं।

इसलिए अँधेरा अकेला नहीं रहता।।


22) उन से गुफ़्तुगू में हों तो देखना हम को,

जान जाओगे ख़ुशी क्या चीज़ होती है।।


23) बाक़ी सारी ख़्वाहिशें आएंगी इस के बाद में -

मुझ को एक सुंदर सी लड़की से मोहब्बत चाहिए।।



24) कहना जो चाहते हो तुम वो जब नहीं कह पाओगे

बे-तहाशा टीस होगी ख़ुद पे ही झुंझलाओगे।।


चेहरा उसका चैन है, हैं चश्म-ओ-लब उसके सुकूँ,

बात करने जाओगे तो देखते रह जाओगे।।


अपना मनपसन्द, दिल-अज़ीज़, सबसे क़रीबी शेर नीचे कमेन्ट बॉक्स में ज़रूर लिखें

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