Monday 29 November 2021

पिता ने पुत्र से।


अपना शहर छोड़ने वाले हर युवा लड़के को समर्पित -


पिता ने

मेरे शहर छोड़ने के ठीक एक दिन पहले

मेरे हाथ में चाय देते हुए कहा –

कि "अपने पूरे सामर्थ्य के साथ

जितनी दूर हो सके, उतनी दूर जाओ

 

पर्वतों के शिखर देखो

दरयाओं की हद पे जाओ

अपनी संभावना निचोड़ो

क्षितिज को मंज़िल बनाओ

 

चाहे रहो ऊँचाई पर तुम,

या कहीं गहराइयों में

सुख में रहो, दुःख में रहो

रहो भीड़ या तन्हाइयों में

 

याद रखो –

याद रखो कि घर है एक

जहाँ तुम लौट सकते हो

कभी भी, कहीं से भी

किसी भी वक़्त, किसी भी हाल में

किसी भी रूप, किसी अहवाल में

तुम लौट सकते हो

 

तुम आ सकते हो वापस माँ नर्मदा के पास,

जिनके घाट के गुरजे के ऊपर तुम बैठे थे

और मैं तुम्हारे साथ था.

 

जहाँ पर बैठकर सीखा है तुमने नर्मदा अष्टक पाठ

जहाँ पर बैठकर हमने दिया है मछली को दाना

आए जब कोई मुसीबत, यहीं तुम लौट कर आना.

 

ये वो तट है जहाँ पर तुमने अपने डर के बावजूद

नदी में मारकर गोता, कला तैरने की सीखी है

छोटी-छोटी दूरी तय करते-करते तुमने ही

नदी के बीच जाकर रेत पर क्रिकेट भी खेला है.

 

शहर से दूर कभी भी अगर आए कोई मुश्किल

चुनौती से हो घबराहट, सहम जाए तुम्हारा दिल

तो तुम इस तट पे लौट आना,

और देखना नन्हे बच्चों को

नदी में कूदते, तैरते.

 

एक बार नदी किनारे, मंदिरों के सामने

बहुत छोटी उम्र में तुम खो गए थे भीड़ में

छूट गया था हाथ तुम्हारा माँ के हाथों से

हम सब बहुत परेशान हुए थे,

पर तुम हमें मिल गए थे.

 

हम ने नहीं, तुम ने हमें खोजा था

तुम बचपन से ही बहुत अच्छे खोजी हो –

अपनी राह तुम ज़रूर ढूँढ लोगे.

 

अपनी ढूंढी हुई राह पर चलते हुए कभी

अगर आ जाए कोई डेड एंड, कोई अंधा मोड़

तो फ़िक्र मत करना, बस लौट आना.

 

के “लौट आना” भी एक रास्ता है,

रास्ता जो हार का पर्याय नहीं है,

बस संकेत है इस बात का -

कि तुम कुछ देर आराम करोगे

और दुगनी ऊर्जा से फिर बढ़ोगे.

 

मैं नहीं कहता कि तुम, न करो कोशिश

समस्त विश्व को अपना घर बनाने की

मगर इस कोशिश में लगे रहते हुए

तुम्हें भान हो इस बात का कि तुम्हारा घर

तुम्हारा समस्त विश्व हो सकता है.

 

और इसलिए तुम घर वापस आ सकते हो.

 

मैं, माँ, छोटा भाई, ये “चम्पमला निवास.”

जिला होशंगाबाद, राज्य मध्यप्रदेश” -

हमेशा तुम्हें स्वीकार करेंगे,

तुम्हारा इंतज़ार करेंगे.

 

तुम जाओ, बढ़ो, मत डरो, लड़ो

कहो कि “आता हूँ.” और निकल पड़ो

निकल पड़ो लौटकर आने के लिए."

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