Wednesday, 28 April 2021

होप की नज़्में।


इकबाल चाचा अपने बनाए हर मटके पर लिखते थे - "Nothing Concrete."

-मानव कौल


एक 

कई सूर्य देखकर, कई चाँद काटकर,
रौशनी के तले, लोग कई डूब गए।
और साथ डूब गई, उनकी अपनी रौशनी।
सूर्य किंतु है अभी भी, चाँद है और चाँदनी,
ठीक जैसे - सूर्य था, चाँद था, थी चाँदनी। 

पहाड़ चढ़कर बहुत, कुछ चट्टान फाँदकर,
लोग प्रकृति में आ, मिट्टी-मिट्टी हो गए।
और मिट्टी हो गई उनकी अपनी प्रकृति।
पहाड़ किंतु हैं वहीं, और चट्टानें भी,
जहां खड़े हैं जस के तस, कई पहाड़ सदियों से।

नदियां कई निहारकर, कुछ एक तैर पार कर,
ठीक नदी के सामने से, लोग कितने बह गए।
और साथ बह गई उनकी तैराकी भी।
नदी पर वहीं रही, कहीं गई ही नहीं,
ठीक जैसे नदी के किनारे जाते नहीं।

लोग डूबते हैं, कहीं और उग आने को।
लोग मिट्टी होते हैं, पेड़ हो जाने को।
लोग बह जाते हैं, कहीं और से निकलने को,
पर कितने जीवन लगते हैं! बात यह समझने को - 

कि सूर्य, चाँद, पहाड़, नदी - कहीं जाते नहीं।
जाते हैं तो लोग बस, फ़िर आते नहीं।
क्योंकि वे हो जाते हैं - सूर्य, चाँद, पहाड़, नदी।


दो

ग्रहण में महताब दिखाई नहीं देता
ग्रहण में घर से निकलते नहीं
ग्रहण में पट मन्दिरों के बंद होते हैं
और खाने की हर चीज़ में तुलसी डलती है.

ग्रहण के वक़्त नहीं मनते कोई तीज-त्यौहार
ग्रहण में ख़ुशी की कोई बात नहीं होती
ग्रहण में किसी से मुलाक़ात नहीं होती

ग्रहण वह समय है जिसमें एक ही प्रार्थना 
संसार का हर जीव कर रहा होता है
एक ही उम्मीद से बंधा हुआ होता है.

संसार से अन्धकार मिटाने की प्रार्थना
उर्जा से लैस सबसे उजली प्रार्थना है
इससे बड़ी दुनिया में कोई और प्रार्थना नहीं,
उम्मीद से बड़ी कोई और साधना नहीं.

तीन

घने बादल, कोई ग्रहण
काला अँधेरा -
चाँद की नुमूद को तो घेर सकते हैं।

लेकिन अपनी पूरी ताकत
दम ओ खम के साथ भी -
चाँद की हस्ती को
मिटा नहीं सकते।

जंगलों के तल पर
रह रही कई जातियां
आदि-जन-जातियां
देश के नक़्शे पर नज़र 
नहीं आती हैं

और ना नज़र आते हैं
उन तक पहुँचते रास्ते
लेकिन वे भी गोंड, भील,
डफ़ला जाती की तरह
देश में मौजूद हैं - सभी के सभी,
कहीं न कहीं

सदियों से कई लाखों
लोगों ने सतत -
हज़ारों की संख्या में झूठ कहे हैं।

लेकिन तब भी
अज़ल से अभी तक
सच की प्रज़ेन्स परसिस्टेंट रही है।
और आगे भी जावेदां रहेगी।

"संसार में किसी की भी
अनुपस्थिति
उसके अस्तित्व पर 
सवाल नहीं हो सकती।"

ईश्वर! मेरे इस कथन के 
सबसे उपयुक्त उदाहरण हैं।

Keep Visiting!


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