असली इंकलाब वही होता है, जो अंदर से होता है।
-कृष्ण चंदर
बाहर के प्रभाव से भीतर में होते हैं,
बहुत से तात्कालिक, पर क्षणिक बदलाव।
देर नहीं लगती इन बदलावों को बदलते
उम्र इनकी बे-हद अल्पायु होती है।
भीतर के प्रभाव से, बाहर हुए बदलाव पर,
धीरे-धीरे ही सही स्थाई रूप लेते हैं,
मिटते नहीं वो, चट्टान बनकर रहते हैं।
वायु में होते हैं, दीर्घायु होते हैं।
अपने कितने साथियों को देखता है चीतल
शिकारी की बन्दूक का शिकार होते,
और कान मीच कर दौड़ पड़ता है
हरी-हरी, कोमल घास के लिए।
जब तक नहीं पहुँचती बन्दूक की आवाज़,
कानों के ज़रिये से दिल में उसके
और घास खाते हुए नहीं आती उसको,
अपने शिकार हुए साथियों के खून की गंध -
तब तक किसी भी सूरत-ए -हाल में,
चीतलों के समाज में आंदोलन नहीं होंगे।
जब तक हर बीज ये तय नहीं करेगा -
कि कुछ भी हो जाए पेड़ हो जाने के बाद,
मैं हर बार, लगातार उग आऊंगा।
तब तक किसी ना किसी तरह से,
पेड़ अपने धड़ से उड़ाए जाते रहेंगे।
जब तक नहीं आएगा भूकम्प अंदर,
नहीं आएगी सुनामी, शांत रहेगा समंदर।
जब तक भीतर में कोई आग नहीं जलती,
किसी कविता से बाहर कोई अलख नहीं जलेगी।
दरअसल अंतर के मंतर से तंतर हिलते हैं।
इसलिए हर आंदोलन का मसदर, अंदर है।
बाहर नहीं। बाहर तो केवल उसके प्रभाव हैं।
प्रभाव जो घट सकते हैं, मिट नहीं सकते।
हाँ! आंदोलनों में भीड़ होती है,
भीड़ से पर आंदोलन नहीं होते।
विद्रोह के बस एक स्वर से फूटते हैं वो तो,
भीड़ बस उस स्वर का अनुरणन है।
हाँ! आंदोलन जन्म लेते हैं नेताओं से,
जैसे नेता जन्म लेते हैं आंदोलनों से।
और हाँ! आंदोलन ख़त्म करने उतर आते हैं नेता,
जैसे नेता ख़त्म करने आंदोलन उतरते हैं।
जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु अटल है,
पर आंदोलन? अजर हैं, अमर हैं।
वे जीवित रहते हैं मक़सद की उम्र तक -
मक़सद जो बे-हद दीर्घायु होते हैं।
आज तक किसी भी आंदोलन की,
कभी भी, कहीं भी मृत्यु नहीं हुई।
बस उनका प्रभाव बाहर से घटा है,
मूल हर विद्रोह का, भीतर खड़ा है।
आंदोलन मरते नहीं, पर उन्हें मारने की कोशिश,
कई छोटे आंदोलनों को मार देती है।
अपने अस्तित्व में आने से पहले ही,
विरोध के कई स्वरों का हो जाता है गर्भपात।
और फ़िर ऐसे कई गर्भपात -
एक विचार-रहित समाज के दाता बनते हैं।
एक आंदोलन-रहित समय की शुरुआत करते हैं,
समय जो दीर्घायु हो सकता है।
पर मुझे उम्मीद है कि होगा नहीं -
क्योंकि हर गुज़रे हुए आंदोलन के किस्से,
बचे हुए अवशेष, छूटे हुए हिस्से -
हर नए आंदोलन में जान फूंकेंगे,
ये दीर्घायु होने से नहीं चूकेंगे।
Keep Visiting!
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