आओ हम एक ग़ज़ल लिखेंगे मिसरा-मिसरा जोड़।
मैं लूँगा दरया से "ऊला", तुम लाना "सानी" तोड़।।
हिन्दू है या मुस्लिम है, जो भी है साबित कर।
एक हाथ उठाकर बोल सलाम या हाथ दोनों जोड़।।
आसमान बदले है पल-पल, पल-पल बदले है दरया।
भूल जा प्यारे दुःख पुराने, बात पुरानी छोड़।।
है दुनिया में ख़ुदकुशी का एक तरीका ये,
थाम ले दामन सच्चाई का, झूठ का भांडा फोड़।।
है मुहब्बत जावेदां, नफरत भी दायम है।
तू लेकर पैगाम ख़ुदा का गलियां-गलियां दौड़।।
"प्रद्युम्न" तुम्हारी रहगुज़र पर देखो लिक्खा है।
"सावधान! आगे है यारों काला, अंधा मोड़"
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