खुश-मिज़ाजी क्या है, हमारे लिए?
यह उन्वान कुछ नया है, हमारे लिए।
किसने बनाया यह दीन ओ धरम?
है किसने चलाया हमारे लिए?
ख़ुदा कोई लफ़ज़ है, अज़ल से यहाँ?
या बनाया गया है, हमारे लिए?
जिस शख्स को सभी ने बुरा ही कहा,
वह शख्स अच्छा है, हमारे लिए।।
यह कहके अल्लामा सब छोड़ गए जहाँ।
यहाँ क्या बचा है, हमारे लिए?
तू क्या है, ख़बर क्या, दूजों के लिए।
पर तू एक रज़ा है, हमारे लिए।।
ज़रूरी है जीस्त में उम्मीद वगरना।
यह जीस्त भी क़ज़ा है, हमारे लिए।।
अपनी मर्ज़ी जियो, उसकी मर्ज़ी मरो।
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा है, हमारे लिए।।
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