उस्ताद की बातों में हो मशगूल जाता हूँ।
उस्ताद को आदाब कहना भूल जाता हूँ।।
दोस्तों की ख़ुद-परस्ती याद रहती है।
दुश्मनों की बे-वफ़ाई भूल जाता हूँ।।
गाहे-गाहे मुझको उसकी याद आती है।
गाहे-गाहे मैं ही उसको भूल जाता हूँ।।
इश्क़ पहला उम्र सारी याद रहता है।
मैं शहर में होता हूँ तो स्कूल जाता हूँ।।
कुछ जगहों पर पहुंचकर इल्म होता है।
कुछ जगहों पर तो मैं फ़िज़ूल जाता हूँ।।
बीज-ए-उल्फ़त अक्सर दिल में बो तो देता हूँ,
पर खाद देना, आब देना भूल जाता हूँ।।
Keep Visiting!
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