Tuesday, 12 June 2018

मुलाक़ात नहीं करेंगे।



आप हमसे बात, नहीं करेंगे।

अच्छा! तो मुलाक़ात, नहीं करेंगे।।


शाम शम्स देर तक आफ़ाक पर रहा।

शर्त थी के रात, नहीं करेंगे।।


क्या चाहिए आपको, मांगिए जाना।

हम कोई सवालात, नहीं करेंगे।।


आपने जो कुछ किया साथ हमारे।

क्या हम आपके साथ, नहीं करेंगे?


आँखों ने तो कर दिया है आपको रुख़्सत।

कम्बख्त पर जज़्बात, नहीं करेंगे।।


यूँ तो हासिल कुछ नहीं ईमान से मगर,

बे-ईमानी ये हाथ, नहीं करेंगे।।


किसी के गम में साथ उसके आप रोइये।

फिर हक़ से कहिये के "ज़कात, नहीं करेंगे।।"


दुनिया बनाई उसने, उम्मीद थी उसको,

हम ऐसे तो हालात, नहीं करेंगे।।

Keep Visiting!

No comments:

Post a Comment

चार फूल हैं। और दुनिया है | Documentary Review

मैं एक कवि को सोचता हूँ और बूढ़ा हो जाता हूँ - कवि के जितना। फिर बूढ़ी सोच से सोचता हूँ कवि को नहीं। कविता को और हो जाता हूँ जवान - कविता जितन...