अच्छा! तो मुलाक़ात, नहीं करेंगे।।
शाम शम्स देर तक आफ़ाक पर रहा।
शर्त थी के रात, नहीं करेंगे।।
क्या चाहिए आपको, मांगिए जाना।
हम कोई सवालात, नहीं करेंगे।।
आपने जो कुछ किया साथ हमारे।
क्या हम आपके साथ, नहीं करेंगे?
आँखों ने तो कर दिया है आपको रुख़्सत।
कम्बख्त पर जज़्बात, नहीं करेंगे।।
यूँ तो हासिल कुछ नहीं ईमान से मगर,
बे-ईमानी ये हाथ, नहीं करेंगे।।
किसी के गम में साथ उसके आप रोइये।
फिर हक़ से कहिये के "ज़कात, नहीं करेंगे।।"
दुनिया बनाई उसने, उम्मीद थी उसको,
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