अबकी बारी दिन हमे बहार वाले चाहिए।
हुजरे में अपने लोग कुछ इक़रार वाले चाहिए।।
खरे-खरे सब भीतर डालो, सिक्के खोटे आने दो।
ये बाज़ारों में चलते हैं, बाज़ार वाले चाहिए।।
ये कहकर के साहिब ने सच्चे लोगों को भगा दिया।
"ये सरकारी काम है, मक्कार वाले चाहिए"।।
है नहीं कमी इश्क़ की इनके पास "प्रद्युम्न"।
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