कोई अच्छा मुगालता पाल लेंगे।
कुछ रोज़ इस शहर में निकाल लेंगे।।
चरागों से उनके तो हाथ जल गए,
जो कहते थे सूरज सम्भाल लेंगे।।
मैं एक कवि को सोचता हूँ और बूढ़ा हो जाता हूँ - कवि के जितना। फिर बूढ़ी सोच से सोचता हूँ कवि को नहीं। कविता को और हो जाता हूँ जवान - कविता जितन...
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