Monday, 22 January 2018

फेसबुकिया शायर के नाम।



आए दिन फेसबुक पर।
इंस्टाग्राम या आउटलुक पर।।
कुछ शायर अपनी शायरी पेश करते हैं।
हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी को मैश करते हैं।।


अपना नाम नहीं लिखते वो,
शायरी के नीचे।
सादगी है, बड़प्पन है,
उनकी इस आदत के पीछे।।


फिर लाइक-वाइक का चलता है,
एक मनोरम सिलसिला।
कमेंट बॉक्स में आते हैं,
कमेंट ऑफ़ - टीना, रीना, उर्मिला।।


शायर सबको कहता है-
बहुत धन्यवाद, शुक्रिया।
दिल ही दिल में सोचता है,
कहाँ है लेकिन "अनुप्रिया"।।


उसको तो भैया इंतिज़ार है,
"अनु" के कमेन्ट का।
कुछ तो लड़की करो ख़्याल,
शायर के सेंटीमेंट का।।


आता है जो कुछ देर-सबेर।
शायर को है कर देता ढ़ेर।।
ख़ुशी से नाचता-गाता है,
फिर लड़की को मैसेज जाता है।।


आपने हमारी कविता पढ़ी।
आपका धन्यवाद।।
इस धन्यवाद से आगे बढ़ता है,
एक प्रेम-प्रसंग, सुंदर संवाद।।


इन खुशियों का हाय! मगर,
अंत उस बखत हो जाता है।
जब शायर का बड़ा राज़ एक,
लड़की के सामने आता है।।


जो शायरियां डाली गई।
वो सचमुच काफ़ी प्यारी थीं।।
इनके कारण ही लड़की अपना दिल,
शायर जी से हारी थीं।।


वो शायरियां जब लड़की ने,
अपनी सखियों को दिखाई।
पीछे से एक कन्या बोली-
क्यों वेबसाइट से चुरा लाई?


सुनकर कन्या की तीखी बात।
लड़की के टूट गए जज़्बात।।
फिर वो पहुंची शायर के पास।
और लगाया एक चमाट।।


चमाट खाकर शायर बाबु की,
हुई सिट्टी पिट्टी गुम,
बस तभी से बैठे रहते हैं,
मायूस, गुमसुम।।


मगर हार नहीं मानी शायर ने,
और किया फैसला टाइट।
अब शायरियां लेकर आएंगे,
फ्रॉम लेटेस्ट वेबसाइट।

Keep Visiting!


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