Friday, 12 January 2018

मोक्ष वाला इश्क़ | नटवर सिंह तोमर।




लगता है इश्क़ में ठंड बहुत लगती है।
तभी सेंक लेते है एक दूसरे से बदन को....

वह अलाव सा बदन,
और उकेरे जिस्म पर लहराती सिसकियाँ
सिसकियों के बीच बलखाती उंगलियां
पीठ पर नाखूनों की खरोंचे
टकराती तेज़ गर्म साँसे
और लिपटने को आतुर होंठ

जाने क्या था उस लम्हे में?
शायद बुद्ध सा ध्यान,
विचारशून्य मन,
ठहरी सी कायनात,
वक़्त का विश्राम !!

अक्सर ढूंढ़ने निकल पड़ता हूँ वो एहसास
इश्क़ का एहसास, मोक्ष सा एहसास।

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