मेरे शेरों को हाथों में संभाला करेंगे।
ये जो कहते हैं मुँह मेरा काला करेंगे।।
मुझसे जलने वाले भी कमज़ोर नहीं हैं।
ये चराग़ बन जाएँ तो उजाला करेंगे।।
जिन रास्तों पर फूल की आस है तुमको,
वो रास्ते ही पांव में छाला करेंगे।।
"है हमसे किसी को मुहब्बत जहाँ में।"
भरम हम ये ता-उम्र पाला करेंगे।।
क़सम है नज़्म की के हर अंजुमन में,
हम तेरे नाम अश’आर उछाला करेंगे।।
कफ़स है एक पास उनके, आब-ओ-दाना है।
देखना अब वो आवाज़ें पाला करेंगे।।
वो कब तक सदाकत छिपाएंगे "प्रद्युम्न"?
वो किस-किस के मुँह पर ताला करेंगे?
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