किस ओर से हवा बदली जा रही है।
मिसाल मेरे नाम की दी जा रही है।।
जो हँस रहे हैं शेरों पर, जानते नहीं।
इनके घरों में शायरी पढ़ी जा रही है।।
कुछ डूब गई मंझधारों में, कुछ साहिल पर हैं।
मेरी कश्ती वो देखो, चली जा रही है।।
मंदिरों में, मस्जिदों में कैद है अब तक।
आवाम मेरे मुल्क की किस गली जा रही है?
मेरी बातों से दिल फिगार हो सकता है ज़रूर।
मगर जो बात सदाकत है, कही जा रही है।।
दिल शिकस्ता हो भले या शगुफ़्ता हो।
मयखाने में शराब है, पी जा रही है।।
ये कहकर के उसने हमें उल्लू बनाया।
वो देखो आसमाँ में, तश्तरी जा रही है।।
काम ही करते रहे, तो जियेंगे कब?
मुख़्तसर है ज़िन्दगी, गुज़री जा रही है।।
हंगामा है सर-ए-शहर मुफ़्लिस की आवाज़ का।
डर है ज़मीदारों को, ज़मीदारी जा रही है।
है रदीफ़ कुछ ऐसा के ख़ातिर इसी के।
बहर इस ग़ज़ल की बदली जा रही है।।
और बहुत पास हैं या शायद बहुत दूर हैं वो।
करार दिल को आ रहा है, बे-करारी जा रही है।।
Keep Visiting!
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