Saturday, 16 September 2017

इंस्टाग्राम का पहला डीएम।




इंस्टाग्राम का पहला डीएम,
उसी का आया था मुझको
मगर उसके बाद के सारे डीएम,
मेरे ही थे , सच ये भी है

उसने कुछ सोचा तो होगा,
तब भेजा होगा मुझको "हाय"
"हाय" का क्या असर हुआ है,
कोई ये जाकर उसे बताए

शुरू हुई फिर वही गुफ़्तगू,
मुख़्तसर बातों वाली
उसने जब कुछ एक राज़ बताए
हमने भी कुछ असरार कहे

कभी-कभी तो सुबह का डीएम,
शाम को लौट कर आता था
शाम वाला भी पगला था, वो
वो आधी रात को आता था

कभी-कभी जब "सीन" करके,
वो "रिप्लाई" नहीं देते
"बिज़ी होंगे यार शायद और क्या"
ये कहके ख़ुद को समझा लेते

इंस्टाग्राम का पहला डीएम,
उसी का आया था मुझको
मगर उसके बाद के सारे डीएम,
मेरे ही थे , सच ये भी है

वक़्त मिला जब बातों के बीच,
हमने प्रोफाइल उसकी खोली
और ऐसी कोई तस्वीर नहीं थी.
जो लाइक किये बिना छोड़ी

इतने सारे नोटिफिकेशन्स
जब उनकी जानिब पहुंचे,
तब जाके उस ओर से डीएम,
पास हमारा भी आया

"ये सब क्या है?" "पागल हो क्या?"
ढेर सवालात कर डाले
क्यों लाइक करी हैं सब तस्वीरें?
इससे आखिर क्या होगा?

रिप्लाई में झूठ एक कह दिया हमने,
मन में छुपाकर यह सच रखा -
के लाइक करी हैं तसवीरें क्योंकि,
ऑप्शन लव का है ही नहीं

ये बातें सारी इंस्टाग्राम की,
इंस्टेंट असर से मिट भी गईं
और राफ्ता से उनसे हमारा,
राब्ता भी कट गया

फ़िर एक रोज़ अचानक इंस्टाग्राम पर,
खुशियों ने फिरसे दस्तक दी
जब "राइट साइड" का आइकॉन दोबारा,
लाल-लाल हमें नज़र आया

इंस्टाग्राम का पहला डीएम,
उसी का आया था मुझको
मगर उसके बाद के सारे डीएम,
मेरे ही थे , सच ये भी है

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