"बहुत देर तक हंसते रहना,
मुसलसल, बिना रुके,
मुझे सवालों से लाद देता है....
बहुत सारे सवालों से...
इतनी मुस्कुराहट, इतनी हंसी,
इतनी ख़ुशी और कोई दुःख नहीं,
बात क्या है?,
क्या सब सही नहीं?
वजह है हर मुस्कान के पीछे,
तुम्हारी भी होगी,
बे-वजह क्यों हंसते हो,
क्या पागल हो?...
जैसे रोने के कई कारण हैं,
हंसने के भी सबब हैं अपने...
अकारण , बे-सबब ना हुआ है कुछ,
ना होगा कभी, शायद!
अब अक्सर कम हँसता हूं, और
वजह की दो कॉपी साथ रखता हूँ अपने,
एक ज़हन में और
एक ज़बान पर, क्योंकि...
"बहुत देर तक हंसते रहना,
मुसलसल, बिना रुके,
मुझे सवालों से लाद देता है....
बहुत सारे सवालों से...
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