सिवा उमीदों के दुनिया में बचा क्या है?
मुश्ताक़ हैं सारे यहाँ, आबिद कोई नहीं है।
ऐ! इलाही तेरे बन्दों को ये हुआ क्या है?
तूफानों में है कश्ती तो ना घबराओ यारों।
बिना थपेड़ों के साहिल का मज़ा क्या है।।
सज़ा जो है, जैसी है, क़ुबूल है लेकिन,
पहले ये तो बता मेरी ख़ता क्या है?
भले थोड़ा है, मगर तुझमें है, ख़ुदा मेरे दोस्त।
तू खुद ही को बता, तेरी रज़ा क्या है।।
सब उसका है, जानते हो, तुम भी-हम भी,
तो फिर तेरा क्या है? और मेरा क्या है?
पहले समझ तो जाऊं मैं हयात का मतलब,
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