पल भर में पाक से आलूदा होना।
बड़ा आसान है इंसान का गुमशुदा होना।।
एक अरसे से कू-ए-दिल में जिसका आना-जाना है।
बड़ा मुश्क़िल है उसी से जुदा होना।।
सफ़र कठिन है माना, मगर हम चलें तो सही।
बिना कोशिश के नामुमकिन है कोई सहर-नुमा होना।।
और सह-सह कर सितम, लाज़मी है सितमगर होना।
तुम हो सको तो किसी ज़ख्म की दवा होना।।
ऱकीब मुक़ाबिल हो, तो उसे भी आदाब कहो।
सही नहीं हैं यूँ बात-बात पर बेहूदा होना।।
और माँगा ही है आज तक, कभी किसी को दिया नहीं।
मैं सोचता हूँ कितना मुश्किल होगा खुदा होना।।
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