Saturday, 15 April 2017

मुश्किल है खुदा होना।

पल भर में पाक से आलूदा होना।

बड़ा आसान है इंसान का गुमशुदा होना।।


एक अरसे से कू-ए-दिल में जिसका आना-जाना है। 

बड़ा मुश्क़िल है उसी से जुदा होना।।


सफ़र कठिन है माना, मगर हम चलें तो सही। 

बिना कोशिश के नामुमकिन है कोई सहर-नुमा होना।।


और सह-सह कर सितम, लाज़मी है सितमगर होना।

तुम हो सको तो किसी ज़ख्म की दवा होना।।


ऱकीब मुक़ाबिल हो, तो उसे भी आदाब कहो। 

सही नहीं हैं यूँ बात-बात पर बेहूदा होना।।


और माँगा ही है आज तक, कभी किसी को दिया नहीं। 

मैं सोचता हूँ कितना मुश्किल होगा खुदा होना।।


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