Thursday, 26 January 2017

ब्रम्ह सरोवर।

(Scene)
 
Bramha Sarovar, Pushkar(Rajasthan)

 
 
ब्रम्ह सरोवर का किनारा,

चुपचाप बैठा था, अकेला।

फ़िज़ाएँ टहल रही थीं ऐसे,

के जैसे छलांग लगाएंगी आब में।

वहीँ चबूतरे पर चार वाइज़,

मिल रहे थे यादों से।

और अचानक एक ने,

गुफ़्तुगू इब्तिदा की।

के इतने सारे ठिकाने हैं सबके,

ब्रम्ह का सिर्फ एक क्यों?

कुछ सोचो, कुछ विचारो,

और मंदिर बनवाते हैं।

उड़ती फ़िज़ाएँ सुन रही थी,

कान लगाकर वार्ता।

दौड़कर ब्रह्मा तक पहुंची,

और हाल सारा कह दिया।

सुनकर प्रभु ने माथा पकड़ा,

खुद से ही नेत्र चुरा लिए।

पीछे राम, रहीम खड़े थे,

दोनों मंद-मंद मुस्का दिए।




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