Saturday, 24 December 2016

दो कबूतर।


जाड़े की शाम, सर्द मौसम, कोहरे से ढंका आसमान, दिल्ली की गहरी, सकरी गलियां और ऐसे वक़्त पर मेरे कमरे की छत पर आए वो दो कबूतर।
दिल्ली कबूतरों से भरा हुआ शहर है। जयपुर के बाद यह दूसरा ऐसा शहर है जहाँ शोख़ कबूतरों के संग गुफ़्तगू की जा सकती है। तमाम चौक-चौराहों और घरों की छतों पर इनका ताता लगा रहता है। उस रोज़ ऐसे ही किसी चौराहे या छत से परवाज़ भरकर वो दो कबूतर मेरी बालकनी में आ पहुंचे थे। उनकी गुटर-गूं ने मुझे अपनी ज़द में ले लिया था और मैं उन्हें पैहम ताक रहा था। ना केवल ताक रहा था बल्कि सुन भी रहा था। वे कुछ बात कर रहे थे, ज़रूरी या गैर-ज़रूरी, नहीं जानता मगर हाँ बातचीत सतत जारी थी और "गुटर-गूं" की आवाज़ में छिपी हुई थी। चंद लम्हों में ही उनसे एक दोस्ती कायम हो गई थी। यह दोस्ती सिर्फ मेरी तरफ से थी और मैं चाहता था कि उनकी जानिब से भी हो मगर इससे पहले की मैं उनकी ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाता वो दोनों फुर्र हो गए और साथ ही फुर्र हो गई, एक हसरत, एक चाहत, एक तमन्ना, एक उम्मीद, दोस्ती की।




उस शाम में कुछ ख़ास था,
कुछ तो इख़्तिलाफ़ था।।
आफ़ाक पर कोहरा नहीँ था,
कोहरे पर आफ़ाक था।।
राफ्ता वो ढ़ल रही थी,
वह शाम कुछ फुर्सत में थी।
मन्द-मन्द बहती फ़िज़ा में,
कोई ना कोई राज़ था।।

धुंध से सट कर खड़ी थी,
दूर एक अट्टालिका।
उससे ही शायद आ रहा था,
कुछ पंछियों का काफ़िला।।
दो कबूतर काफ़िले से,
आए उतर एक पाल पर,
और गूं-गुटर-गूं, गूं-गुटर-गूं,
का चल पड़ा एक सिलसिला।।

आपस में काफी देर ना जाने,
क्या बातें चटकाते थे।
पता नहीं था हम को लेकिन,
फ़िर भी सुनते जाते थे।।
अल्फ़ाज़ों से क्या लेना था?,
जज़्बात समझ में आते थे।
दो कबूतर शायद!, हाँ शायद!
दाना-पानी चाहते थे।।

पँख फैलाकर, गर्दन हिलाकर
जाने क्या बड़बड़ाते थे?
दाना खाकर, पानी पीकर,
अपनी पाँखें खुजलाते थे।।
झट से उड़ते, झट ठहरते,
अदृश्य कभी हो जाते थे।
इन शौख परिंदों को हम अपना,
दोस्त बनाना चाहते थे।।

तामीर की चौथी मंज़िल से,
तल का नज़ारा, ख़ौफ़ था।
पर आदतों से ढीट थे हम,
झांकना हमारा शौक था।।
फुद-फुदकते, फड़फड़ाते,
दोनों हम तक आए थे।
 लगा था हमको जैसे हमने,
दो दोस्त अनोखे पाए थे।।

उस रोज़ शम्स-ओ-चाँद दोनों,
जब आसमाँ में साथ थे।
दो कबूतर उनकी गुटर-गूँ,
और हम ज़मीं पर साथ थे।
यकदम, अचानक आवाज़ आई,
घर के भीतर, शोर से,
शोर से उड़ गए कबूतर,
ले कर गुटर-गूँ साथ में।।



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