Tuesday, 11 October 2016

चलो कहानी कहें।


Every Action Has A Story

-Self

कलाकार ,अर्थात कला का प्रदर्शन करने वाला। लेखक, कवि, चित्रकार, कथाकार, कहानिकार, निर्देशक, दिग्दर्शक, गायक, गीतकार, संगीतकार, अभिनेता आदि ये सब, सब के सब कलाकारों के समूह के अभिन्न अंग हैं। सवाल उदघाटित होता है के आखिर कलाकार करते क्या हैं? हालांकि अलग-अलग अंगों को अलग-अलग कार्यों से पहचाना जाता है। मगर फिर भी एक चीज़ तो ऐसी है जो हर कलाकार करता है और कलाकार है इसलिए नहीं करता, चूँकि वह उस निश्चित कार्य को करता है इसलिए कलाकार कहलाता है।
कलाकार कहानी कहता है प्यार की, दर्द की, रोमांच की, गम की, सफलता की, विफलता की, विचार की, व्यवहार की। हाँ, तरिके हर एक के अलग हैं मगर लक्ष्य एक, कहानी को खल्क के मर्म तक पहुंचाना। बस यही उनके जीवन का एकमात्र मर्म बनकर रह जाता है। शर्त सिर्फ एक रहती है के कहानी वह हो जो दिल से सुनानी हो और कहानियां तो हम सभी के दिलों में, ज़हन में हैं।

चलो कहानी कहें, चलो कहानी कहें,
चलो कहानी कहें हम सब।

चाहे एक , चाहे दो
या अनेक क्यूँ न हो।
बस वही कहानी हो,
जो तुम्हे समझानी हो।।

थोड़ी सोची, समझी सी,
थोड़ी भूली, भटकी सी।
सुनाके, मस्त हो जाए मर्म।

चलो कहानी कहें, चलो कहानी कहें,
चलो कहानी कहें हम सब।

नई-निराली हो 
या पुरानी वाली हो।
बस वही कहानी हो,
जो तुम्हे सुनानी हो।।

जो करीब मन को हो,
जो शरीक मन में हो।
जिसका तुम्ही से हुआ हो जन्म।

चलो कहानी कहें, चलो कहानी कहें,
चलो कहानी कहें हम सब।

चाहे हंसाती हो,
चाहे रुलाती हो।
बस वही कहानी हो,
जो तुम्हे बतलाती हो।।

छुपते ख़्वाबों की हो,
लुकते राज़ों की हो।
या एहसासों का कोई कर्म।

चलो कहानी कहें, चलो कहानी कहें,
चलो कहानी कहें हम सब।

पहली झलक की हो या फैले फलक की हो।
ख्वाइशों की हो या फरमाइशों की हो,
बस दिल की नुमाइश हो।

कह दो एक दफा, ज़िन्दगी का फलसफा।
ज़िंदा जो रहें, वो हैं कहानियां,
ऐसी कहानियां चलो सुनाए हम।।

चलो कहानी कहें, चलो कहानी कहें,
चलो कहानी कहें हम सब।


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