गुरु ब्रम्हा गुरु विष्णू,गुरुः देवो महेश्वरा।
गुरु साक्षात परब्रम्हा,तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
गुरु साक्षात परब्रम्हा,तस्मै श्री गुरुवे नमः।।
अर्थात गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है और गुरु ही शिव है। गुरु ही इश्वर है और ऐसे परमात्मा स्वरुप गुरु को मैं कोटि-कोटि नमन करता हूँ।
गुरु गोविन्द दऊ खड़े काको लागूं पायं।
बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताय।
-कबीर
पौराणिक ग्रंथों से लेकर आधुनिक लेखकों की किताबों में गुरु के महत्व और सहजता का वर्णन मिलता है। प्रसिद्द वैज्ञानिक और भारत के पूर्व राष्ट्रपति ऐ.पि.जे. अब्दुल कलाम ने अपनी किताब "विंग्स ऑफ़ फायर" में शिक्षकों की एहमियत और खासियतों का वर्णन बड़ी ही खूबसूरती से किया है. वे कहते हैं के उनके एक शिक्षक इबादुरई सोलोमान का मानना था के एक अच्छा विद्यार्थी खराब शिक्षक से भी उतना सीख सकता है जितना के एक कमज़ोर विद्यार्थी उच्च श्रेणी के शिक्षक भी नहीं सीख सकता। आशय यह है के शिक्षक कैसा भी हो विद्यार्थी से अधिक जानता है और अनुभवों का धनि होता है। स्मरण रहे अनुभव से बड़ा शिक्षक समस्त संसार में कोई नहीं और अनुभवों से शिक्षा पा चुके व्यक्ति से बड़ा विद्यार्थी कोई नहीं। चूँकि हर शिक्षक आपसे अधिक अनुभवी होता है कदाचित् आप हर एक से ज्ञान का एक अंश अर्जित कर सकते हैं. नरेन्द्र नाथ दत्त स्वयंसिद्ध पुरुष थे वे एक ख़ास उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही धरती पर आए थे. मगर उनके भीतर के विवेकानंद को विश्व के समक्ष उद्घाटित करने का काम उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस ने ही किया था. अंग्रेजी की एक प्रचलित कहावत है- "Teaching is The Profession that creates all other Professions"
समुचे विश्व के शिक्षकों को नमन करते हुए उनके सम्मान में एक कविता पेश करता हूँ.
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