Tuesday, 19 July 2016

मुस्कुरा ले ज़रा।

मुस्कुरा ले ज़रा मुस्कुरा ले ज़रा।
कहती है ये ज़मी।।
कह रहा आसमां।

देख चेहरा तेरा कैसा बंजर पड़ा।
इंतज़ार उसे बारिशों का बड़ा।।
दिल भी भीगने को यूँ बेताब है।
अब तो मुस्कुराना ही उसका ख्वाब है।।

हंसी की बौछारें कर।
सब करदे हरा-भरा।।
मुस्कुरा ले ज़रा मुस्कुरा ले ज़रा।
कहती है ये ज़मी।
कह रहा आसमां।।

फितरतें फ़िक्र की फ़िक्र करने की हैं।
डरना कैसा भला आओ उनसे लड़ें।।
जीतें उनसे यूँ के फिर कभी जिक्र ना हो।
सामने आने में फ़िक्र को फ़िक्र हो।।

खुशनुमा हर सहर , खुशनुमा हर निशा।
काँटों के रास्तों को मसनद सा तू बना।।
मुस्कुरा ले ज़रा , मुस्कुरा ले ज़रा।
कहती है ये ज़मी 
कह रहा आसमां।।

रंज हैं,रंजिशें मन में चलती रहें।
हर घड़ि, हर पहर ये कुचलती रहें।।
हंसी की,ख़ुशी की मन में तो आस रहे।
दिक्कतें,कश्मकश क्यों फिर पास रहें।।

क्रोध का कत्ल कर तप की तलवार से।
कश्मकश को भी अब कर दे खुद से जुदा।।
मुस्कुरा ले ज़रा , मुस्कुरा ले ज़रा।
कहती है ये ज़मी 
कह रहा आसमां।।

आज और अभी पास इमकान है।
दुःख के परदे हटा एक जश्न जहान है।।
एक आंधी है तू बादलों को डरा।
तू वो बाज़ीगर, जो गिर के होए खड़ा।।

गैरों को छोड़ के तू।
खुद से मिल आ ज़रा।।
मुस्कुरा ले ज़रा , मुस्कुरा ले ज़रा।
कहती है ये ज़मी 
कह रहा आसमां।।

कल कि किताब में खोज किलकारियाँ।
मम्मी की थपकियाँ,यारों की यारियां।।
दुश्वार लम्हों के तू पन्ने फाड़ दे।
और गम को जस-का-तस ज़मी में गाड़ दे।।

हर लम्हा महसूस कर।
थोड़ा थम भी जा अब ज़रा।।
मुस्कुरा ले ज़रा , मुस्कुरा ले ज़रा।
कहती है ये ज़मी।
कह रहा आसमां।।

-कलम कुदरती 


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