अश्क़ आँखों से कब नहीं आता।
लहू आता है तब नहीं आता।।
दिल से रुखसत हुई कोई ख्वाइश।
गिर्या कुछ बे-सबब नहीं आता।।
-मीर तक़ी मीर
कभी-कभी यूँ ज़िंदगी में,
रोना-गाना अच्छा है,
आँसूं बहाना अच्छा है...
जब ज़हन का कोई कोना,
पाश-पाश सा हो जाए...
या कोई गिला भीतर मन में,
हो-हल्ला करता जाए...
जब लगे कि गर्दिश है...
ग़मगीन समा है, रंजिश है..
हँसते रहने का कोई सबब,
आँखों में, दिल में ना आए..
उस वक़्त, उस पल, उस लम्हा...
रो लेना बहुत अच्छा है...
फूट पड़ो तुम दिल से और फिर,
आँसुओं को आने दो...
रंज-ओ-गम है जितना अंदर,
राफ्ता बह जाने दो...
बहुत देर तक रोने पर,
जब चश्म लाल पड़ जाएंगे...
चेहरा भीग चुका होगा और,
आँसूं फिर ना आएंगे..
उस समय तुम मुस्कुराना,
और ताकना आईना...
जो शख़्स तेरे मुक़ाबिल होगा,
वो ख़ुश होगा, हद से ज़्यादा...
कभी-कभी ज़िंदगी में,रोना-गाना अच्छा है,
आँसूं बहाना अच्छा है...
Keep Visiting!
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