यार शायर डर गया।
आंखों से उतर गया।।
ख़ौफ़ में सब लफ्ज़ थे,
कैसे जीता? मर गया।।
सबसे पहले तुम गए,
फिर तुम्हारा असर गया।।
क्यों नहीं उड़ते हो तुम?
कौन पर कतर गया?
सहमे-सहमे बैठे हो।
हौसला किधर गया?
ज़र ही था नीवे-मकां।
ज़र गया तो घर गया।।
शेर सब पायाब थे?
क्या कोई अंदर गया?
सरपरस्त तो आप थे।
आपका भी सर गया?
और सुबू ना भरो,
दिल हमारा भर गया।।
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