Tuesday, 21 August 2018

आज़माया जाए ना।



रात है तो रात में ग़म को बुलाया जाए ना।
फ़िर लतीफ़े दो सुना उस को हँसाया जाए ना।।

हम नहीं हैं आसमानी, हैं ज़मीं के लोग हम।
टिमटिमा सकते नहीं तो जगमगाया जाए ना।।

हम शजर रखते नहीं हैं कद दरख़्तों सा मगर,
ओ बड़े, ऊँचे दरख़्त - हम को डराया जाए ना।।

माँ मुतालिक बात मैं इतनी कहूँगा दोस्तों,
कोई भी हो बात बस माँ को रुलाया जाए ना।।

"कुछ नहीं आता हमें।" दुतकारना पर हल नहीं।
राफ्ता सब सीख लेंगे, बस सिखाया जाए ना।।

और मुफ़लिस कुछ नहीं तो दे सके है बद-दुआ -
बद-दुआ लेना नहीं, उस को सताया जाए ना।।

है ख़ुदा ये झूठ है, ये है भरम, लेकिन सुनो -
झूठ से हैं शाद सब तो सच बताया जाए ना।।

झूठ का और तर्क का ताल्लुक नहीं है कोई भी।
सच कहें तो इस तरह, के बड़बड़ाया जाए ना।।

दोस्ती के बाद आती है मुहब्बत सच है ये।
वक़्त फ़िर भी दोस्ती में कम गंवाया जाए ना।।

मैं करूँगा कुछ नहीं या फ़िर करूँगा बहुत कुछ।
एक दफ़ा मुझ को कहीं पर आज़माया जाए ना।।


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