Friday, 22 June 2018

अजीब इश्क़ | क्रतग्य दीवान।


Welcome to this very new section of Prcinspirations Here you will get to read some of the very interesting and beautiful poems and stories we received from our readers.

The Following poem is by Kratagya Diwan. An Engineer from Bhopal, Madhyapradesh.

नमस्कार! मैं  कृतज्ञ दीवान, एक इंजीनियर हूँ। शुरु से ही पढने का शौक़ था, ये ही शौक़ बढ़ते-बढ़ते लिखने पर आया और मैं भी थोड़ा बहुत लिखना सीख गया। नए शब्दों और विचारों से रूबरू होना और उन्हें अपनी रचनाओं में डालना पसंद है मुझे। मेरी यह रचना उन लोगों के लिए है जो अपने साथी से प्यार तो बहुत करते हैं पर उसके लिए अपने आत्मसम्मान से कोई समझौता नहीं करते। आशा है आपको पसंद आएगी। 

अजीब इश्क़

बड़ा अजीब ही इश्क़ निभाते जा रहा हूँ मैं। 
तुमको पाने की ज़िद में अपनों को गवांते जा रहा हूँ मैं।
कोई भी फर्क नही पड़ता तुमको,
मेरे  होने, न होने से,
फिर क्यों इस तरह के दिन बिताते जा रहा हूँ मैं।।

तासीर ऐसी पड़ गई है तुम्हारी मेरे इस दिल पे न जाने कब से,
कि मेरे साथ चल रहे अमलन को देखकर भी झुठलाते जा रहा हूँ मैं।
तब्दील हो गए है सारे मायने तुम्हारे हर अल्फ़ाज़ के अब,
फिर भी उनके हर एक हर्फ़ को दोहराते जा रहा हूँ मैं।।

घमंड हैं तुम्हें अपनी इस आराइश पे बहुत,
पर मेरी भी मगरूरी हूँ सुन लो, तुम्हें भुलाने जा रहा हूँ मैं। 
और नर्म होकर कभी किसी से सच्ची मोहब्बत कर के देखना तुम,
कुछ अलग है तुम में तभी तुम पे कविता बना रहा हूँ मैं।।

बड़ा अजीब ही इश्क़ निभाते जा रहा हूँ मैं।
तुमको पाने की ज़िद में अपनों को गवांते जा रहा हूँ मैं।।

Keep Visiting!

No comments:

Post a Comment

For Peace to Prevail, The Terror Must Die || American Manhunt: Osama Bin Laden

Freedom itself was attacked this morning by a faceless coward, and freedom will be defended. -George W. Bush Gulzar Sahab, in one of his int...