Prcinspirations Wishes You All A very Happy International Day Of Poetry.
Down Here Is a Poem Inspired By Some Writings Of Sir Henry Charles Bukowski Jr.
कविता में बेईमानी मत करना। कभी भी मत करना।
शायरी में सियासत मत करना। कभी भी मत करना।।
कहानी में झूट मत कहना। कभी भी मत कहना।
कुछ ना आए तो मत कहना। कभी भी मत कहना।।
काफ़िये मिलाना बन्द, कर सको तो कर देना।
तुकबंदी से जल्द निज़ात, पा सको तो पा लेना।।
जो बीती सो कह देना, जो मन में हो, वो कह देना।
कुछ ना आए तो मत कहना, कभी भी मत कहना।।
ज़्यादा-ज़्यादा कहते हो?, कह सकते हो, चलने दो।
ना बिना कहे रह सकते हो?, तुम पक्के हो, चलने दो।।
हैं लफ्ज़ अभी मज़बूत नहीं?, किताब पढ़ो और चलने दो।
ख़्याल तुम्हारे पास नहीं?, तो रहने दो, छोड़ो अभी।।
गहरा-गहरा लिखना है?, क्यों लिखना है?, सोचो तो।
सीधा-सीधा कहना है?, क्यों कहना है?, सोचो तो।।
क्यों लिखने, क्यों कहना का, उत्तर है, तो कहो।
वरना तो सब ही लेखक हैं, कहते हैं?, कहने दो।।
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