पहले हाल हमारा, बहाल होगा।
फ़िर क्या होगा?, कमाल होगा।।
सवाल तुमने हमसे बे-कनार किये थे "मियां"।
अब हर उत्तर हमारा, एक सवाल होगा।।
और इब्तिदा तो आम है, ये माना हमने लेकिन।
अंत जो होगा, बे-मिसाल होगा।।
बड़ा शौक था, तेगबाज़ी का रक़ीब को हमारे।
अब जो आया मुक़ाबिल, तो निढ़ाल होगा।।
ये चांटा है नसीब का, पड़ना सबको है।
कल जहां हमारा था, वहां तुम्हारा गाल होगा।।
और बड़ा शोर है, सभी सम्तों में, सर-ए-शहर।
बिना मतलब का फिरसे कोई बवाल होगा।।
बाज़ी-ए-इश्क़ में इज़हार ज़रूरी है "मेरे दोस्त"।
मिल गई जो "जीत" तो कमाल होगा।।
""हार" जो मिली तो वो "हार" नहीं","फैज़" कहते हैं।
ऐसी "हार" का ना कोई गम होगा, ना मलाल होगा।।
और जो हुआ, जो होगा सब तय है यहाँ "यारों"
किसी से दूर हुए हो, तो किसी और से विसाल होगा।।
Keep Visiting!
No comments:
Post a Comment