Poetry Is More about Feelings And Less About Thoughts.
-Self
The Following Poem Do Not Contain Any Ethical, Moral, Social, Philosophical Or Motivational Message.
हमारे शहर में तो देखो,
ये कौन आया है?
नज़रों में आता नहीं जो,
फ़िज़ाओं संग इठलाया है।।
अकेला नहीं, कोई साथ भी है।
सुना है ये रातों को गरियाता भी है।।
अट्टालिकाओं के पीछे तो देखो,
वो कोहरा उसका ही पैगाम लाया है।
हमारे शहर में तो देखो,
ये कौन आया है?
सुना है निशा को इन सड़कों पर
वो दौड़ लगाता है।
इन सितारों ने मुझको कल ही,
ये राज़ बताया है।
हमारे शहर में तो देखो,
ये कौन आया है?
झूमके आता है, घूम के जाता है।
सुना है, वो इस धरा को चूम के जाता है।।
इन पत्तों, इन कलियों ने,
उसे गले लगाया है।
हमारे शहर में तो देखो,
ये कौन आया है?
शाम में आता है, सहर को छुप जाता है।
सुना है, रवि से, वो थोड़ा घबराता है।
इन मेघों ने अक्सर उसे बचाया है।।
हमारे शहर में तो देखो,
ये कौन आया है?
चाँद से तो पुराना,
निस्बत-ए-ख़ास है उसका।
रातों को अक्सर उसे,
मस्ती में पाया है।
हमारे शहर में तो देखो,
ये कौन आया है?
Keep Visiting!
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