Saturday, 5 November 2016

ये मेरा, वो मेरा।


There Is Enough In The World For Everyone's need , but not Enough For Everyone's greed.

-Frank Buchman & Mahatma Gandhi


ये मेरा , वो मेरा, सब मेरा, सब मेरा!
जागीरें है मेरी , खज़ाना है मेरा।।
इंसां चिल्ला के कह रहा,
ये मेरा, वो मेरा।।

घर-बार है मेरा, एक परिवार है मेरा,
ये रातें सब मेरी, सवेरा है मेरा।।
इंसां चिल्ला के कह रहा,
ये मेरा, वो मेरा।।

एक दुनिया है मेरी, एक संसार मेरा,
जो मेरा है उस पर अधिकार मेरा।।
इंसां चिल्ला के कह रहा,
ये मेरा, वो मेरा।।

मज़हब है मेरा, एक खुदा भी है मेरा।
घर में कूड़ा पड़ा है वो कूड़ा भी मेरा।।
इंसां चिल्ला के कह रहा,
ये मेरा, वो मेरा।।

चल माना सब तेरा, सब कुछ है तेरा।
झूठा सही लेकिन ख्वाब है तेरा,
तो जा कर लोगों से कह दे के सो जाओ सारे,
ये आसमां में उड़ता आफताब है मेरा।।

तन भी तेरा और मन भी है तेरा।
जल जायेगा एक दिन वो रक्त है तेरा।।
जाके परिंदों से कह दे के उड़ जाओ सारे,
जिस दरख़्त पे हो बैठे, वो दरख़्त है मेरा।।

कम कुछ नहीं है, सब ज़्यादा है तेरा।
कितना तो है! क्या इरादा है तेरा?
क्या मैय्यत में खुदकी कह पाएगा तू?
चले जाओ सारे, ये जनाज़ा है मेरा?


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