Saturday, 20 February 2016

एक पत्र प्रदर्शनकारियों के नाम.....

सेवा में
प्रदर्शनकारियों
विषय- आपके कृत्यों के खिलाफ एक पत्र।
महोदय,
जब संविधान का ढांचा तैयार हो रहा था तब बाबा साहब आंबेडकर ने दलितों की स्थिति को सुधारने के लिए इस आरक्षण रुपी हथियार का इस्तेमाल किया था मगर उन्होंने ये बिलकुल नहीं सोचा होगा के लोगों की रक्षा के लिए बना ये हथियार आगे चलकर लोगों के पतन का कारण बन जायेगा।
कथित तौर पर गत शुक्रवार आप(प्रदर्शनकारियों) ने रोहतक,भिवानी समेत हरियाणा के 9 से अधिक जिलों में हिंसक प्रदर्शन किया।
जो लोग बिना किसी स्वार्थ के देश की रक्षा कर रहे हैं आपने उन लोगों पर हमला किया।
आपने बसें जलाई,ऑटो जलाय सरकारी वाहनों को तहस नहस कर दिया।
आपके कारण सभी परीक्षाएं रद्द करनी पड़ी,स्कूल,कॉलेज बंद करने पड़े।
मगर आप अपने मंसूबों को पूरा करने में सफल रहे,सरकार आपके सामने झुक गई।
क्या आप आपने इस कृत्य को विद्रोह समझते हैं
यदि हाँ तो आपका सोचना बिलकुल गलत है क्योंकि आप स्वयं देख सकते हैं के अखबारों में या दूरदर्शन पर आप विद्रोही नहीं बल्कि प्रदर्शनकारी कहलाते हैं।
क्योंकि विरोध तो गलत विचारों का होता है,गलत सोच का होता है,गलत कर्मो का होता है। विरोध दूसरों के खिलाफ होता है,अपनों के सामने तो प्रदर्शन किया जाता है अपनी छोटी मानसिकता का अपनी मूर्खता का अपने स्वार्थ का जो आप सभी कर रहे हैं।
कमाल की बात तो यह है की जहां पूरी दुनिया आगे बड़ने के सपने देख रही है वही आप लोग इस बात से खफा हैं के सरकार आपको पिछड़ा हुआ नही मानती,मेरे समझ में ये नहीं आता के आप लोग इतना सब सिर्फ इसलिए कर रहे हैं ताकि दुनिया आपको पिछड़ा माने।
याद रखिये-
"चुभती होगी बात मेरी
मगर बात कहूँ में खरी।
आरक्षण इंसान को बेबस बनाता है
मज़बूत नहीं"
कभी सोचा है उस आम अनारक्षित छात्र के बारे में जो बेचारा दिन-रात ज़मीन आसमान एक करके पढ़ाई में लगा रहता है और अच्छे से अच्छे अंक पाने के बावज़ूद भी अपने लक्ष्य को भेद नहीं पाता।
इस देश में आज कई ऐसे लोग हैं जिनकी मासिक कमाई मात्र 5 से 10 हज़ार रूपए  है मगर वे अनारक्षित हैं और महीने में 50 हज़ार से अधिक कमाने वाले लोग आरक्षित।
वास्तव में आरक्षण नामक ये ढांचा पूरी तरह खोला हो चूका है जो देश को पतन की ओर ही लेकर जा रहा है।
ऐसे में बार बार हर बार अलग अलग जाती व् समुदाय के लोग नजाने क्यों आरक्षण मांगते जा रहे हैं।
ज़रा सोचिये यदि इसी तरह सभी लोग आरक्षण मांगते रहे तो पूरा देश ही आरक्षित हो जायेगा या हम यूँ कहे के पूरा देश पिछड़ जायेगा और पिछड़ा देश कहलायेगा।
दोस्तों ये दुनिया गोल है यहां एक को लगता है के दूसरा उसके आगे है और दुसरे को लगता है के वो पहले से पीछे है।
मेरा आप लोगों से निवेदन है के आरक्षण मिल जाने के बाद अपनी आने वाली पीढ़ियों को ये बात ज़रूर बताइयेगा की वो पिछड़े वर्ग में आते हैं और जब वे इसका कारण पूछें तो उन्हें कुछ पुराने अखबार दिखा दीजियेगा।
राष्ट्रहित में सदा तत्पर,
गलत सोच का विरोधी
एक भारतीय।

Also Published In All the editions of dabang duniya On 22nd Feb 2016........


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