Friday, 11 December 2015

ग़ज़ल किया करो।


कुछ ज़रूरी, कुछ गैरज़रूरी अमल किया करो। 

इब्तिदा जो भी करो, मुकम्मल किया करो।।


 कहने वाली दुनिया है, कहती है तो कहने दो। 

जिस काम की दिल मंज़ूरी दे वो काम मुसलसल किया करो।।


आज-अभी जो करना है, करने वाले करते हैं।

तुम बस कहने वाले हो, कल-कल, कल-कल किया करो।।


शायरों से सीख लो आशिक़ी का फन। 

नज़्म-वज़्म कुछ शायरी, कुछ ग़ज़ल किया करो।।


पास ख़ुदा के शिकवों की फेहरिस्त लम्बी है। 

छोटे-मोटे मसले यारों खुद से ही हल किया करो।।


आसमान की तेज़ हवाओं से घबराना बेकार है।

साथ उनके बहा करो, ख़ुद को बादल किया करो।।


वाइज की तकरीरों से हो जाओ अब रुखसत। 

ऐतबार खुदी पर रखा करो, खुद को अफ़ज़ल किया करो।।

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