कुछ बड़े चालाक हैं, गुम-राह करते हैं।।
जो राह बताकर चले गये, वो लोग अच्छे थे।
हमसफर, यारों अक्सर बे-राह करते हैं।।
हाँ करके तुम मुकर गए?, ये बात ठीक नहीं।
वो लोग ही बेहतर हैं, जो मनाह करते हैं।।
जिनकी परवाह की हमने , वो बे-परवाह निकले।
यही तजुर्बे जीस्त के ला-परवाह करते हैं।।
ये कुछ सुनने वाले, बड़े लुच्चे हैं वल्लाह!
शेर नहीं समझते हैं, बस वाह-वाह करते हैं।।
है सज़ा जो इश्क़ की, है ग़ैर-ज़मानती।
Keep Visiting!
No comments:
Post a Comment