Monday 15 October 2018

गुफ़्तगू विथ गॉर्जियस : फ्लोरा सैनी।


अनुपमा चोपड़ा द्वारा संचालित वेब चैनल फिल्म कम्पनियन को दिए अपने एक इंटरव्यू मैं जाने-माने कलाकार पंकज त्रिपाठी ने फिल्म मसान का किस्सा साझा करते हुए कहा था कि उन्हें अक्सर छोटे अर्थात कम स्क्रीन टाइम वाले किरदार करने में बेहद मज़ा आता है। उन्होंने कहा कि ऐसे किरदार आपके सामने एक चुनौती पेश करते हैं और आप खुद भी कोशिश करते हैं कि थोड़ी सी देर में ही दर्शकों पर अपना प्रभाव कैसे छोड़ा जाए। आँखों देखि, बरेली की बर्फी और दम लगा के हईशा जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा दिखा चुंकि सीमा पाहवा ने भी अपने एक इंटरव्यू में यही बात कही थी। हम अक्सर बड़ी बड़ी फिल्मों के छोटे-छोटे किरदारों पर ध्यान नहीं देते लेकिन हमें देना चाहिए क्योंकि आख़िरकार वे भी किसी भी फिल्म के अभिन्न अंग होते हैं। पिछले दिनों अमर कौशिक निर्देशित और राजकुमार राव अभिनित फिल्म स्त्री जिसने हाल ही मैं सिनेमाघरों में अपने पचास दिन पूरे किये हैं एक बेहद सफल फिल्म रही। इस फिल्म की समीक्षा लिखते हुए मैंने हर उस किरदार के बारे में लिखा जो इस फिल्म में शामिल था। बस एक नाम मेरे ज़हन में नहीं आया। "स्त्री" का नाम। जी हाँ फिल्म में स्त्री का किरदार निभाने वाली अदाकारा फ्लोरा सैनी, जिनका नाम मैंने अपनी समीक्षा में कहीं नहीं लिखा। मेरी इसी गलती का प्रायश्चित है यह इंटरव्यू। एक बातचीत, एक संवाद, एक गुफ्तगू, फ्लोरा सैनी उर्फ़ स्त्री के साथ। गौरतलब है कि तेलुगु फिल्मों से अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत करने वाली फ्लोरा स्त्री से पूर्व दर्जन भर मलयालम, कन्नड़ और तेलुगु फ़िल्में कर चुकी हैं। हाल ही में आए एकता कपूर द्वारा निर्मित शो ट्रिपल एक्स में भी फ्लोरा को देखा और सराहा गया है। इसके अलावा सोनी टीवी के प्रचलित शो मेरे साईं में भी फ्लोरा का किरदार काबिल ए तारीफ है। बहुत जल्द फ्लोरा एएलटी बालाजी के बैनर तले बने वेब शो "गन्दी बात" और अरशद वारसी अभिनीत फिल्म "फ्रॉड सैय्याँ" में नज़र आने वाली हैं। आइये जानते हैं उनके फ़िल्मी करियर से जुड़ीं कुछ अनसुनी बातें।

फ्लोरा सैनी।

सवाल- किस बात ने आपको फिल्मों में आने के लिए प्रेरित किया?

जवाब- मैं बाय चांस एक्ट्रेस हूँ, बाय चॉइस नहीं। शुरुआत के दो-टीन साल जब मैं तेलुगु फिल्मों में काम कर रही थी तब कई बार मुझे लगा कि मुझे घर लौट जाना चाहिए क्योंकि मैं ठीक से तेलुगु बोल भी नहीं पाती थी। लेकिन किस्मत का खेल है है कि लगातार काम मिलता रहा और मैं लगातार, बिना रुके बस लगी रही। तो यस "आई एम ए डेस्टिनीज़ चाइल्ड"


सवाल- अपने हालिया प्रोजेक्ट्स को आने वाली फिल्मों-शोज़ के बारे में कुछ बताएं।

जवाब- हाल फिलहाल में तो आयशा नाम का एक शो बहुत जल्द आने वाला है। इसके अलावा इनसाइड एज का दूसरा सीज़न भी बहुत जल्द अमेज़न पर लोगों के सामने होगा। इसका शूट जारी है।


सवाल- आपकी फिल्म स्त्री ने पिछले दिनों सिनेमाघरों में अपने पचास दिन पूरे किये। इसके लिए आपको मुबारक। एक चुड़ैल का किरदार निभाने का आपका अनुभव कैसा रहा?

जवाब- बहुत शानदार, बेहद मज़ेदार। शायद आपको पता ना हो लेकिन इससे पहले भी मैंने साउथ की कुछ फिल्मों में भूत या चुड़ैल का किरदार निभाया है और मुझे यह काफी पसंद है। जब तक कि मैंने अपनी पहली घोस्ट फिल्म नहीं की थी मुझे लगता था कि हॉरर फिल्म में कौन एक्टिंग करता है। यह क्या एक्टिंग होती है, भूत बन जाओ, मेक-अप लगा लो और फीर पागलों की तरह हू-हा करो। लेकिन जब मैंने यह किया तो मुझे मालूम हुआ कि यह बहुत हिम्मत और मेहनत का काम है। इस फिल्म में पहली बार मुझे हार्नेस के सहारे हवा में उड़ाया गया जिसे मैंने बहुत एन्जॉय किया। मतलब जो चीज़ मैं कभी बचपन में नहीं कर पाई वो अब की तो "इट वाज़ फन यार" और जो मुहब्बत, जो प्यार लोगों ने मुझे, इस किरदार को दिया है उसके लिए जितना शुक्रिया किया जाए कम है।


सवाल- हाल ही मैं आपने निर्माता गोरांग दोशी पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। मी टू मूवमेंट और इसकी महत्ता के बारे में आप क्या कहना चाहेंगी?

जवाब- देखिये मुझे लगता है कि आरोप गलत शब्द होगा। यह आरोप नहीं है, यह सत्य है। गोरांग दोशी ने जो कुछ मेरे साथ किया वह सब आज दुनिया के सामने है और कोर्ट में केस भी चल रहा है। मी टू मूवमेंट के बारे में क्या कहूँ। पहले तो हमें ये समझना होगा कि यह कोई मूवमेंट है ही नहीं, यह एक रिवोल्यूशन(क्रान्ति) है। बहुत सी महिलाओं ने सालों साल कई तरह के दर्द सहे हैं, ज़ुल्म सहे हैं और आज वो सब बे-झिजक, बेबाक दुनिया के सामने अपनी बात रख रही हैं। लगता है जैसे सभी दुर्गाएं बाहर आ गई हैं। मेरा विश्वास कीजिये ग्यारह सालों तक मैंने जो कुछ सहा है उसे शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता। आज तो सोश्यल मिडिया है, पहले यह नहीं था। हमारी बात मानने वाला, सुनने वाला कोई था ही नहीं। हम सबके लिए झूठे थे। लेकिन आज चीज़ें बदल गई हैं हम सब बिना डरे अपनी बात लोगों के सामने रख रहीं है और जिस तरह से उन्हें रिसीव किया जा रहा है वह वाकई खुश कर रहा है। और बाकियों को हिम्मत भी दे रहा है कि वे भी सामने आएं और बुरे लोगों का पर्दा फाश करें, उन्हें दुनिया के सामने लाएं। बहुत से मर्दों ने भी इस क्रांति को सहारा दिया है और साबित किया है कि सभी बुरे नहीं होते। बुरे लोग बहुत कम हैं, बहुत कम। परेशानी सिर्फ यह है कि अच्छे लोग उनके खिलाफ आवाज़ नहीं उठाते जबकि उन्हें उठानी चाहिए।


सवाल- युवाओं और उभरते कलाकरों के लिए कोई टिप?

जवाब- बस इतना ही कहूँगी कि अपना काम इमानदारी से कीजिये। कभी हार मत मानिये और सच बोलने से घबराइये मत। बाकी भगवान के पास सभी के लिए एक प्लान है। बस दिल से अपने काम में लगे रहिये।

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