Sunday, 18 February 2018

सलामत है।



ऐ! दिल समझ ये लानत है।

तुझे हर किसी से मुहब्बत है।।


तेरे किसी अशआर पर उसका गौर नहीँ।

शायर तेरी शायरी लानत है।।


अच्छा, बुरा, हो अमल कोई भी।

अज़ाब है अगर वो आदत है।।


हो दोस्त, हो दुश्मन, चले आओ।

आज  तो  घर  में  दावत  है।।


एक अरसे से मुझको गुस्सा नहीं आया।

वजह है के दुनिया सलामत है।।


वो बोला ये उसकी है बेबाकी।

मैं चुप हूँ, ये मेरी शराफ़त है।।


बे-सबब की बे-दारी है मयस्सर किसे।

जागते हो क्यूँ बताओ, क्या आफ़त है?


खाना ना खाना, पानी ना पीना।

ये तो बच्चों वाली बगावत है।।


है शिकवा तुम्हें, है गिला तुमको,

अच्छा! तो मतलब शिकायत है।।


मैं क्या बताऊँ, हाल-ए-हयात।

मेरे बालों की देखो क्या हालत है।।


ना चले हवा, ये मुमकिन नहीं।

जो मुमकिन नहीं, वो चाहत है।।


याद नहीं मुझको इसके बाद के अशआर।

बहुत मुआफ़ी, क्षमा, नदामत है।।

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